क्या आप जानते हैं कि हिंदी सहित का प्रथम महाकाव्य कौन सा है नहीं तो हम इस आर्टिकल में आपको हम बताएंगे।
हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य पृथ्वीराज रासो है। पृथ्वीराज रासो आदिकाल की प्रमुख रचना है। आदिकाल 650 ई. से 1350 ई. तक माना जाता है। पृथ्वीराज रासो चंद बरदाई द्वारा ब्रजभाषा में रचित एक महाकाव्य है।
पृथ्वीराज रासो पृथ्वीराज तृतीय के जीवन पर आधारित थी। पृथ्वीराज तृतीय एक चौहान राजा थे। पृथ्वीराज तृतीय ने 1165 और 1192 ईस्वी के बीच अजमेर और दिल्ली पर शासन किया था।
पृथ्वीराज रासो एक महाकाव्य कविता है जो एक अर्ध-ऐतिहासिक, अर्ध-पौराणिक विवरण को दर्शाती है जो पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी को दर्शाती है।
पृथ्वीराज रासो के कई संस्करण उपलब्ध हैं, लेकिन विद्वानों का मानना है कि बीकानेर में 1300 छंदों की एक छोटी पांडुलिपि मूल पाठ के सबसे करीब है।
पृथ्वीराज रासो का सबसे लंबा उपलब्ध संस्करण 16,306 छंदों वाला एक महाकाव्य है। पृथ्वीराज रासो उत्तरी भारत के क्षत्रिय समुदायों के सामाजिक और कबीले संरचना पर जानकारी का एक स्रोत है।
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पृथ्वीराजरासो राजपूत इतिहास का पहला प्रमुख स्रोत है। इस पुस्तक के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति माउंट आबू में किए गए यज्ञ से हुई थी। पृथ्वीराज रासो हिंदी भाषा की पहली पुस्तक मानी जाती है।
कर्नल जेम्स टॉड ने एनल्स ऑफ राजपुताना या राजस्थान कथावली लिखा था। जेम्स टॉड के अनुसार राजपूत हूणों के वंशज थे। सोमदेव सूरी का कथासरित सागर भी राजपूतों का विवरण देता है। राष्ट्रकूट कवि पम्पा ने भी अपनी पुस्तक में गुजरा के बारे में उल्लेख किया है।
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