(A) मायोसीन काल में
(B) क्रिटेशियस काल में
(C) जरेसिक काल में
(D) इयोसीन काल में
ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका दोनों एक समय सुपरकॉन्टिनेंट गोंडवाना का हिस्सा थे, जो 500 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में था। गोंडवाना में न केवल ये दो भूभाग शामिल थे बल्कि दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, भारत और अन्य वर्तमान महाद्वीप भी शामिल थे। लाखों वर्षों में, विवर्तनिक हलचलों के कारण गोंडवाना टूट गया, जिससे ये भूभाग अलग हो गए।
ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका से इयोसीन काल में अलग हुआ था। आदिनूतन काल को इयोसीन काल (Eocene epoch) भी कहा जाता है। पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास का महत्वपूर्ण युग है, जो आज से लगभग 5.6 करोड़ वर्ष पहले शुरू होकर 3.39 करोड़ वर्ष पहले तक चला।
इयोसीन युग का आवश्यक भूवैज्ञानिक महत्व है, क्योंकि इसके दौरान पृथ्वी के जीवों और मौसम की दृष्टि से महत्वपूर्ण परिवर्तन घटे। यह युग पेलियोजीन कल्प (Paleogene) का एक महत्वपूर्ण भाग था और इसके आवश्यक विशेषता उन घटनाओं का अध्ययन करती है जो इसके दौरान घटे।
इयोसीन युग के दौरान, पृथ्वी की जलवायु में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। यह युग उष्णकटिबंधीय जलवायु का एक समय था, जिसमें जीवों के प्रकृतिक जीवन और प्रैजमिक प्राणियों के विकास के लिए अच्छे आदर्श मिले। इस युग के दौरान, भूमि पर पौधों की बढ़ती विविधता और प्राचीन समय के वन्य जीवों का विकास हुआ।
इयोसीन युग के दौरान काई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जैसे कि जीवों के परिवर्तन और नए प्रजातियों का उदय। इस युग में प्राचीन प्राणियों की विकसित हो रही पारिस्थितिकी प्रणालियों में बदलाव आया और नई प्रजातियाँ प्राचीन काल की तुलना में अधिक सफलता प्राप्त करने लगीं।
इयोसीन युग के दौरान, पृथ्वी के समुद्रों में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन दर्ज हुआ, जैसे कि महासागरीय जीवों के विकास और समुद्रों के तटों के परिवर्तन।
इओसीन युग के दौरान पृथ्वी के जीवन और जलवायु के बीच इस महत्वपूर्ण संबंध का अध्ययन भूवैज्ञानिकों और ऐतिहासिक वैज्ञानिकों के लिए आकर्षक है क्योंकि यह हमारे शानदार पूर्वजों की जीवनशैली और पृथ्वी के विकास की कहानी का एक हिस्सा है।
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